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बाल कविता (आओ मिलकर ज्योति जला दें )

मंजिल की ओर
मंजिल की ओर
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आओ मिलकर ज्योति जला दें
शिक्षा के उजियारों का
सुन्दर शिक्षित देश बना दे
गाँधी जी के प्यारों का

बच्चा -बच्चा शिक्षा पाए
किसान वीर जवानों का
जग में फिर अभिमान बढ़ा दे
भारत माँ के लालों का

कोना-कोना दीप जलाएं
न बुझाने वाले दीपों का
हर एक बच्चा बन जाये
अब लाखों मोती सीपों का

इस धरती पर चाँद उतारें
गौतम के दिव्य विचारों का
जग को भी एक पाठ पढ़ा दें
अपने शिष्टाचारों का

आशु

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